Friday, April 19, 2024
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    1 साल में 5 पुलिस वाले बने निशाना हुई लाखों की ठगी, पढ़िए पूरी ख़बर

    पुलिस खाकी वालों को भी साइबर क्राइम से बचा नहीं पा रही है। साइबर ठग आम लोगों के साथ ही पुलिसवालों को भी निशाना बना रहे हैं

    जानते हुए कि वे पुलिसकर्मी हैं, उनके साथ लाखों की जालसाजी की। पिछले एक साल में रिटायर होने वाले पांच पुलिसकर्मियों को निशाना बनाया विभाग से रिटायर होते ही उनके पास फोन कर ऑनलाइन पेंशन भेजने के नाम पर उनका अकाउंट खंगाल ले गए। जालसाजों ने इन पुलिसवालों से करीब 63 लाख की जालसाजी की लेकिन अपने साथियों की गाढ़ी कमाई को पुलिसवाले लौटा नहीं पाए। न तो किसी केस का खुलासा हुआ न ही उनका पैसा ही मिला

    गोरखपुर साइबर क्राइम थाना के साथ ही अन्य थानों पर मिलाकर पिछले दो वर्षों में साइबर ठगी के 380 मुकदमे दर्ज हुए हैं। इसमें से साइबर थाने में 45 केस दर्ज किए गए हैं। कुल मामलों में 30 फीसदी का ही अभी तक पर्दाफाश हो सका है। 70 फीसदी मामलों का पर्दाफाश पुलिस नहीं कर पाई है। ज्यादातर मामले दूसरे प्रदेश से जुड़े होने के नाते पुलिस वहां जा ही नहीं पाती

    बिहार, झारखंड से जुड़े कई केस में तो अभी तक पुलिस टीम पता ही तस्दीक करने नहीं जा पाई है। कई ऐसे मामले भी सामने आए, जिसमें पुलिस ने केस ही नहीं दर्ज किया है। अब तक जिले में 3.18 करोड़ रुपये की साइबर ठगी हो चुकी है। इसमें से एक करोड़ रुपये ही पुलिस वापस करा पाई है। 2.18 करोड़ रुपये वापस कराने में पुलिस नाकाम साबित हुई।

    23 जून 2020 से साइबर थाना कर रहा काम-

    सीओ गोरखनाथ और यातायात कार्यलय के बीच मुख्य सड़क पर साइबर थाना है। यहां एक इंस्पेक्टर, तीन सब इंस्पेक्टर, 2 महिला हेड कांस्टेबल, 5 महिला कांस्टेबल और 12 कांस्टेबल यानी कुल 23 पुलिसकर्मियों का स्टाफ है। 23 जून 2020 को थाने की शुरुआत हुई है तब से अब तक यहां साइबर क्राइम से जुड़ी 426 के करीब शिकायतें आई हैं। इनमें 45 में साइबर थाना में केस दर्ज हुए हैं

    हर दिन आ रहे तीन से चार मामले-

    गोरखपुर जिले में साइबर ठगी के इन दिनों हर दिन तीन से चार मामले पुलिस के पास आते हैं। साइबर थाना, एसएसपी, एसपी क्राइम और साइबर सेल के पास आते अलग-अलग मामले। विशेषज्ञों के मुताबिक, ठगी के चार घंटे के अंदर शिकायत मिलने पर पुलिस प्रभावी कार्रवाई कर पाती है

    पीड़ित के बैंक खातों की जानकारी ली जाती है, फिर ई-मेल भेजकर बैंककर्मियों को सतर्क किया जाता है। बैंककर्मियों के सहयोग से ही कुछ घंटे के अंदर धनराशि वापस मंगाई जाती है।

    1-फूलबदन द्विवेदी 31 मई 2022 को संतकबीरनगर जिले से रिटायर हुए हैं। वे रिटायरमेंट से पहले संतकबीरनगर के घनघटा थाने में तैनात थे। उनके खाते में उनके पीएफ और रिटायमेंट का पैसा आया था। 12 जून 2022 को उनके मोबाइल पर फोन आया

    कॉल करने वाले ने अपना नाम अभिषेक श्रीवास्तव बताया। उसने कहा कि वह सीओ ट्रेजरी आफिस से बोल रहा है। इसके बाद पेंशन अपडेट कराने के नाम पर उसने खाते का डिटेल जान लिया। डिटेल मिलने के बाद जालसाजों ने खाते से 20 लाख 23 हजार रुपये निकाल लिया

    2- रिटायर इंस्पेक्टर पदमाकर राय शाहपुर के धर्मपुर में किराये के मकान में रहते हैं। 29 अप्रैल 2021 को उनके पास एक अनजान नंबर से कॉल आई। कॉलर ने खुद को ट्रेजरी अफसर बताकर फोन किया। कहा कि इस समय सभी कार्यालय बंद चल रहे हैं। ऐसे में आपकी पेंशन ऑनलाइन खाते में जाएगी। पुलिस भर्ती की तिथि बताने से ऐसा प्रतीत हुआ कि इस व्यक्ति के पास फाइल गई है। यह गलत नहीं हो सकता है। थोड़ी देर बाद उसने कहा कि मोबाइल पर कुछ नंबर गया होगा। वह नंबर बताते ही खाते से दस लाख रुपये निकाल लिया

    3- देवरिया जिले के रहने वाले श्याम नारायण सिंह बलरामपुर जिले के सब इंस्पेक्टर के पद से रिटायर हुए हैं। श्याम नारायण सिंह शाहपुर के पादरी बाजार में मकान बनवाकर रहते हैं। साइबर ठगों ने उनके खाते से 13.20 लाख रुपये इसी तरह निकाले लिए हैं

    4- बस्ती जिले के निवासी एक रिटायर दरोगा के खाते से भी 16.5 लाख रुपये की ठगी हुई है।

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